हमें अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं कि बाजार महंगा चल रहा है। बाजार (सेंसेक्स) जब 8000 अंक पर था, तब कोई स्पष्टता नहीं थी। तब से लेकर अब तक 18,000 अक की पूरी यात्रा के दौरान वे यकीन के साथ खरीदने के मौके नहीं पकड़ सके। इसके बजाय हर बढ़त पर वे बेचते रहे। देखिए तो सही कि इस दौरान एफआईआई की होल्डिंग 20 से घटकर 16 फीसदी और रिटेल की 10 से घटकर 8औरऔर भी

कल माइक्रोसॉफ्ट के अच्छे नतीजों ने अमेरिकी बाजार को टॉप गियर में पहुंचा दिया। लेकिन आज सुबह से ही ईमेल आने शुरू हो गए कि स्पेन के 18 बैंक स्ट्रेस टेस्ट (प्रतिकूल हालात से निपटने की क्षमता की परीक्षा) में फेल हो गए हैं। चेतावनी दी गई कि मेटल सेक्टर गिरनेवाला है। ऐसी तमाम सारी हाय-हाय मचाई गई। आप अच्छी तरह समझ लें कि ये सब मंदड़ियों की कुंठा व हताशा है जो इस तरह की खबरोंऔरऔर भी

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई), एलआईसी और म्यूचुअल फंड हमारे बाजार के बड़े खिलाड़ी हैं। रिलायंस समूह का ऑपरेटिंग तंत्र धीरूभाई के जमाने से ही सक्रिय है। लेकिन सात अन्य बड़े ऑपरेटर हैं जिनके हाथ बड़े लंबे हैं, जिन पर सेबी हाथ नहीं रख पाती। ये हैं – आरजे (राकेश झुनझुनवाला), केपी (केतन पारेख उर्फ पिंक पैंथर उर्फ वन मैन आर्मी), आरके/जीएस (राधाकृष्ण दामाणी उर्फ ओल्ड फॉक्स), आरडी (रमेश दामाणी),  एके (अजय कयान), एमएम (मनीष मारवाह) और एडीऔरऔर भी

ज्यादातर उस्ताद यही कह रहे हैं कि बाजार आज शुक्रवार को भारी बिकवाली का शिकार हो गया। लेकिन हम इससे सहमत नहीं हैं। हमारा तो कहना है कि जब सारी दुनिया से बुरी खबरें आ रही थीं, तब भी बाजार (निफ्टी) ने खुद को 5240 अंक पर टिकाए रखा। अगले हफ्ते मेटल सेक्टर के शेयर स्टार परफॉर्मर होंगे। चाहे जो भी हो जाए, मेटल शेयरों में जल्दी ही कम से कम 25 फीसदी बढ़त होनी तय है।औरऔर भी

बीएसई के बी ग्रुप की कंपनी स्टाइलम इंडस्ट्रीज का शेयर सुबह-सुबह 4.74 फीसदी बढ़कर 42 रुपए पर पहुंच गया। इसमें सर्किट लिमिट ऊपर में 48.10 रुपए की है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 64.79 करोड़ रुपए की आय पर 4.37 करोड़ का कर-पूर्व लाभ और 3 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। उसकी प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) अभी 4.10 रुपए है। कंपनी ने इस साल कुल 15 फीसदी लाभांश दिया है। रिसर्च के आधार परऔरऔर भी