कश्मीर में क्या कैसे हुआ, पता नहीं। लेकिन मौसम का पूर्वानुमान खास मुश्किल नहीं है। एक दिन नहीं, एक हफ्ते पहले भी काफी सही अनुमान लगाया जा सकता है क्योंकि वहां सिग्नल काफी स्पष्ट होते हैं। पर वित्तीय बाज़ार में आगे का अनुमान लगाना बेहद कठिन है क्योंकि यहां सिग्नल कमज़ोर और शोर ज्यादा होता है। इसलिए यहां सफल वही होते हैं जो रिटर्न के साथ रिस्क को संभालते हुए चलते हैं। अब लगाएं बुध की बुद्धि…औरऔर भी

गिरता स्टॉक थोड़ा उठ जाए तो क्या! बढ़ता स्टॉक थोड़ा गिर जाए तो क्या!! नियम कहता है कि साल-छह महीने से बढ़ते शेयर को शॉर्ट न करें और साल-छह महीने से गिरते शेयर में लांग पोजिशन न पकड़ें। ऐसा नहीं कि गिरते शेयर थोड़े दिन बढ़ नहीं सकते या बढ़ते शेयर कुछ दिन गिर नहीं सकते। लेकिन अपट्रेंडिंग स्टॉक्स में लांग और डाउनट्रेंडिंग स्टॉक्स में शॉर्ट करना ट्रेडिंग में रिस्क को घटाने की रणनीति है। अब आगे…औरऔर भी

मूल्यहीनता के इस दौर में छिपा मूल्य खोजकर निकालते हैं। हम अवरुद्ध प्रवाह को खोलते हैं। अर्थव्यवस्था की धमनियों में धन का संचार करते हैं हम। हम भजन नहीं गाते कि जाहे विधि राखे राम, वाहे विधि रहिए और न बौद्धिक लफ्फाज़ी करते हैं। जो पल गुजर गया, उस पर नज़र रखकर हम हर आनेवाले पल की लगाम कसते हैं। समय पर सवार हैं क्योंकि हम ट्रेडर हैं। उतरते हैं शेयर बाज़ार के ऐसे ही संसार में…औरऔर भी

जो चीज़ खुदा-न-खास्ता अपनी हो गई, उसे हम कभी फेंक नहीं पाते। पुरानी मशीनें, जूते, कपड़े, बच्चों के खिलौने और न जाने क्या-क्या कहीं कोने-अंतरे में सहेजकर रखते हैं। असल में यह मालिकाने की मानसिक ग्रंथि है, मोह है, जिसे निकालना जरूरी है। इसलिए ट्रेडिंग के लिए कोई शेयर खरीदने से पहले तय कर लें कि कहां निकलना है। नहीं तो लेने के बाद वो गले की हड्डी बन जाएगा। अब बाज़ार की दशा-दिशा और ट्रेडिंग टिप्स…औरऔर भी