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निफ्टी की दशा-दिशा: शुक्रवार, 23 मई 2025 अंतिम रुख↑ शाम 3.30 बजे

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good in bad things

हर बात में अच्छाई

2017-10-21
By: अनिल रघुराज
On: October 21, 2017
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

negative thoughts

ज़हर से परहेज़

2017-03-01
By: अनिल रघुराज
On: March 1, 2017
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

tulsi

दूर से एक, पास से अलग

2017-02-15
By: अनिल रघुराज
On: February 15, 2017
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

outside in

बाहर से अंदर

2017-02-13
By: अनिल रघुराज
On: February 13, 2017
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

who is dear one

हर कोई अपना कहां

2017-02-02
By: अनिल रघुराज
On: February 2, 2017
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

small big

न छोटा, न बड़ा

2017-01-12
By: अनिल रघुराज
On: January 12, 2017
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

see-thouroughly

देखना दिमाग की आंखों को

2016-10-28
By: अनिल रघुराज
On: October 28, 2016
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

infinite ego

कोई ओर, न कोई छोर

2016-10-11
By: अनिल रघुराज
On: October 11, 2016
In: ऋद्धि-सिद्धि

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हर सुबह, नई सुबह

2016-09-28
By: अनिल रघुराज
On: September 28, 2016
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

self and society

अपना और समाज का स्वार्थ

2016-06-04
By: अनिल रघुराज
On: June 4, 2016
In: ऋद्धि-सिद्धि

और भीऔर भी

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निवेश – तथास्तु

  • कुछ भी किसी भी भाव, कभी ना खरीदें
    18 May 2025

    शेयर बाज़ार में कुछ भी किसी भी भाव पर खरीद लेने का कोई मतलब नहीं। हालांकि ब्रोकर और जानेमाने निवेश सलाहकार अक्सर हम से यही करवाते हैं। जिन शेयरों में चाल आ गई होती है और वे किसी वजह से बढ़ रहे होते हैं, वे फटाक से उन्हें उठाकर कहते हैं कि खरीद लो। वे निवेशकों की लालच का फायदा उठाते हैं और जब किसी वजह से बाज़ार या वो शेयर गिरता है तो निवेशकों के डर […]

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क्या आप जानते हैं?

  • हमारी आंखें बैक्टीरिया के जीन की देन!

    इंसान से लेकर हाथी, घोड़ा, गाय-बैल, सांप, छिपकली, मेढक, मगरमच्छ व चिड़ियों तक धरती पर जितने भी 69,963 किस्म के रीढ़वाले या कशेरुकी (vertebrates) जीव-जन्तु हैं, उन्होंने देखने की क्षमता वाली अपनी आंखें एक बैक्टीरिया के जीन से हासिल की है। यह सच अप्रैल 2023 में पीएनएएस (प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज) की …

अपनों से अपनी बात

  • साल में 41-112%, मिले है सिर्फ यहां!

    भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और आगे भी बढ़ेगी। लेकिन कहा जा रहा है कि इसका लाभ आम आदमी को पूरा नहीं मिलता। अमीर-गरीब की खाईं बढ़ रही है। बाज़ार को आंख मूंदकर गालियां दी जा रही हैं। लेकिन बाज़ार सचेत लोगों के लिए आय और दौलत के सृजन ही नहीं, वितरण का काम भी …

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जानिए

  • ज़ीरो-सम गेम नहीं है यह
  • ईटीएफ: चलो बाजार खरीद लें
  • मायने आईपीओ ग्रेडिंग के
  • जवाब कमोडिटी बाजार के

बूझिए

  • ओपन ऑफर, बायबैक, डीलिस्टिंग
  • इश्यू मूल्य और बुक बिल्डिंग
  • गुत्थी ऋण बाजार की
  • यह कासा बला क्या है?

आज़माइए

  • मोटामोटी दस बातें शेयरों की
  • गोल्ड ईटीएफ एक, दाम अनेक
  • न करें कम एनएवी का लालच
  • फायदे म्यूचुअल फंड निवेश के

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हमारी आंखें बैक्टीरिया के जीन की देन!

इंसान से लेकर हाथी, घोड़ा, गाय-बैल, सांप, छिपकली, मेढक, मगरमच्छ व चिड़ियों तक धरती पर जितने भी 69,963 किस्म के रीढ़वाले या कशेरुकी (vertebrates) जीव-जन्तु हैं, उन्होंने देखने की क्षमता वाली अपनी आंखें एक बैक्टीरिया के जीन से हासिल की है। यह सच अप्रैल 2023 में पीएनएएस (प्रोसीडिंग्स

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