विख्यात अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने 1776 में छपी किताब वेल्थ ऑफ नेशंस में लिखा था कि बाज़ार में सप्लाई मांग से ज्यादा होने पर वस्तु के भाव गिर जाते हैं। मशहूर वैज्ञानिक आइज़ैक न्यूटन ने 1687 में बताया कि कोई भी वस्तु तब तक गतिशील रहेगी जब तक उसका मुकाबला उसके बराबर या उससे ज्यादा बल की वस्तु से नहीं होता। इन्हीं नियमों पर आधारित है मांग और सप्लाई की पद्धति। इसे अपनाते हुए करते हैं ट्रेडिंग…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में हमारा हर कदम हमारे व्यक्तित्व की झलक दिखाता है। सो, यह हमारी अपनी ज़िम्मेदारी है कि सौदे करने के दौरान हम खुद को मन से खुश रखें। अगर तनाव में रहे, किसी वजह से परेशान रहे तो उसका सीधा असर हमारे फैसलों पर पड़ेगा जिससे हमारी ट्रेडिंग प्रभावित हो सकती है। यहां तो मामला वही है कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। इसलिए मस्त रहे, तभी कमा सकते हैं। अब रुख शुक्र के बाज़ार का…औरऔर भी

बड़े-बूढ़े कहते हैं कि दो-चार आदमी गलत हो सकते है, लेकिन हज़ारों-लाखों लोग गलत नहीं हो सकते। पर शेयर बाज़ार में लगता है कि इसका उल्टा है। यहां 95% ट्रेडर बड़ी मशक्कत के बावजूद घाटा खाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे कुछ न कुछ गलती कर रहे हैं। सफल ट्रेडिंग का आधार ऐसा सूत्र है जिसमें दुरूहता नहीं, सरलता हो, जिससे आसानी से नोट बनाए जा सकें। हम उलझाते नहीं, सुलझाते हैं। अब देखें आज का बाज़ार…औरऔर भी