हर धर्म दावा करता है कि उसकी मान्यताएं वैज्ञानिक हैं। लेकिन धर्म स्थिर है जबकि विज्ञान अपनी ही स्थापनाओं को तोड़ता बढ़ता जा रहा है। सोचिए, किसी दिन विज्ञान ही धर्म बन गया तो!और भीऔर भी

ये सही, वो गलत। ये अच्छा, वो बुरा। अनजाने में ही नैतिकता की एक तराजू लिए चलते हैं हम। एक माइंड सेट बन जाता है हमारा। लेकिन नया कुछ पाने के लिए पुराने माइंट सेट को ठोंकना-पीटना जरूरी होता है।और भीऔर भी

हम यूं तो जीते हैं जानवरों की ही ज़िंदगी। उन्हीं प्रवृत्तियों के चलते दुनिया में आगे बढ़ते हैं। बस, इतना है कि समाज ने कुछ कपड़े-लत्ते पहना रखे हैं। धर्म और नैतिकता ने भ्रम पाले रखने के कुछ बहाने दे रखे हैं।और भीऔर भी