देश में आर्थिक सुधारों के लागू होने के लगभग दो दशक बाद भी हमारे शेयर बाजार में पूंजी नहीं बनती, नोट बनते हैं। बाजार में रोज के कारोबार का औसतन 75 फीसदी हिस्सा फ्यूचर्स व ऑप्शंस के डेरिवेटिव सौदों से आता है। डेरिवेटिव कांट्रैक्ट वास्तविक शेयरों की छाया की तरह होते हैं, जिनके बदले शेयर भी लिए जा सकते हैं। लेकिन अपने यहां अब भी इनका निपटान नोट में किया जाता है। भौतिक डिलीवरी का फैसला हालऔरऔर भी