हेड या टेल। 50-50% प्रायिकता। फिल्म शोले की तरह सिक्का सीधा खड़ा होगा, ऐसा हकीकत में अमूमन नहीं होता। शेयर बढ़ेगा या घटेगा या यथावत रहेगा। ज्यादा प्रायिकता के लिए ट्रेंड के साथ चलने का सूत्र अपनाया जाता है। लेकिन ट्रेंड तभी तक फ्रेंड है जब तक वो दिशा नहीं बदलता। दरअसल, कहां से ट्रेंड बदलेगा, उसी बिंदु को पकड़कर किए गए सौदे सबसे ज्यादा मुनाफा कराते हैं। इसे सीखना बड़ी चुनौती है। अब आज का बाज़ार…औरऔर भी

बड़ा निष्कपट-सा बाल स्वभाव है कि जो अच्छा लगे, जहां सुरक्षा दिखे, उसकी तरफ जाओ और जहां डर लगे, उससे दूर भागो। मां की गोद प्यारी लगती है। बाप का साया तक डराता है। पर इन सहज भावनाओं में बहते रहे तो स्टॉक्स ट्रेडिंग में आपको घाटा लगना तय है। इस लिहाज़ से ट्रेडिंग बड़ी कठिन चुनौती है। यहां सहज भावनाओं को थामना पड़ता है। बराबर सीखना और अभ्यास भी जरूरी है। अब पकड़ें बुधवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

जमकर रिसर्च की। ट्रेडिंग के लिए स्टॉक चुना। सौदा किया, घाटा लगा। फिर सारा ज्ञान-ध्यान लगाया। लेकिन ट्रेड किया, फिर घाटा। ऐसा लगातार तीन-चार बार हो जाए तो मन में बैठ जाता है कि कहीं हमसे भारी चूक हो रही है या म्हारी किस्मत ही खोटी है। लेकिन लगातार घाटा सफलतम ट्रेडर भी खाते हैं। फर्क इतना है कि वे बाज़ार का मनमानापन मानते हैं; दिल नहीं डुबाते; औसत कमाई पर लगाते ध्यान। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

यह सच है कि शेयर बाज़ार के 95% ट्रेडर नुकसान उठाते हैं। लेकिन यह भी सच है कि बाकी 5% जमकर कमाते हैं। दरअसल, ट्रेडिंग में ढेर सारी कमाई की संभावना है। मगर, इसके लिए सही नज़रिए और सही रणनीति की ज़रूरत है। इसके कुछ आम तरीके हैं। लेकिन ट्रेडर जब इन्हें अपने व्यक्तित्व के हिसाब से खास बना लेता है तो कामयाबी उसके कदम चूमने लगती है। इस खास तत्व की दिशा में अभ्यास बुधवार का…औरऔर भी

मुनाफे का मौका ताड़ने में लोगों को ज्यादा वक्त नहीं लगता। हम हिंदुस्तानी इस मायने में खटाक से जोखिम उठाने को तैयार हो जाते हैं। पहले इंट्रा-डे ट्रेडिंग में लाखों ट्रेडरों ने हाथ जला डाला। अब हर कोई निफ्टी के ऑप्शंस व फ्यूचर्स से सम्मोहित है। सामान्य से सामान्य लोग जो बस गिनती-पहाड़ा तक जानते हैं, डेरिवेटिव जैसे जटिल प्रपत्रों में हाथ डाल रहे हैं। बस ऊपर-ऊपर जान लिया। बाकी रामनाम सत्य है। अब वार मंगल का…औरऔर भी

बाज़ार सोम को गिरा, मंगल को उठा, बुध को जस का तस पड़ा रहा। गुरु को खुला तो बढ़त के साथ। लेकिन अचानक 1.25% का गोता लगातार उठा तो थोड़ी बढ़त लेकर बंद हुआ। बाज़ार आखिर जाना कहां चाहता है? हम नहीं जानते। ट्रेडर को इससे मतलब भी नहीं होना चाहिए। उसका तो मकसद है जो भी दिशा हो, उसे पकड़कर लाभ कमाना। कयासबाज़ी विश्लेषकों के पापी पेट का सवाल है, उसका नहीं। इसलिए पकड़ते हैं दिशा…औरऔर भी

बिजनेस चैनलों का अपना बिजनेस मॉडल है। ज्ञान देते एनालिस्टों के खाने कमाने का अपना मॉडल है। आर्थिक अखबारों का अलग बिजनेस मॉडल है। हम जित्ता इन्हें देखते या पढ़ते हैं, इनका धंधा उत्ता चमकता है। मुनाफा ही उनका ध्येय है, खबर उनका धंधा है। हमारा भला उनके लिए रत्ती भर मायने नहीं रखता। ट्रेडिंग भी एक धंधा है तो किसी गैर को नहीं, हमें ही इसका बिजनेस मॉडल बनाना होगा। अब देखते हैं आज का बाज़ार…औरऔर भी