जिसे बेचना है, चमत्कारी छवि बनानी है वो अतिविश्वास दिखाएगा। डंके की चोट पर कहेगा कि फलांना शेयर ले लो, इतने तक जाएगा। अरे भाई/बेन! ये तो बता कि इतने तक जाएगा क्यूं? वो कहेगा कि मैं कह रहा/रही हूं, बस इतना ही काफी है। बेचना है तो हांकना उसकी मजबूरी है। लेकिन हम झांसे में आ गए तो यह हमारा बंटाधार करनेवाली कमज़ोरी है। ट्रेडिंग में अतिविश्वास हमें कहीं का नहीं छोड़ता। अब शुक्रवार की अंतर्दृष्टि…औरऔर भी

न्यूटन का पहला नियम कहता है कि कोई वस्तु तब तक उसी अवस्था में बरकरार रहती है जब तक कोई बाहरी बल उसे मजबूर नहीं कर देता। इसीलिए तेज़ भागती गाड़ी खटाक से नहीं मुड़ती। लेकिन शेयर बाज़ार में किसी बाहरी बल से ज्यादा अंदर का बल काम करता है। लालच और भय के अलावा यहां ईर्ष्या और जलन जैसी भावनाएं भी जलवा दिखाती हैं। यहां इन भावनाओं से ऊपर उठना जरूरी है। अब गुरुवार की दृष्टि…औरऔर भी

हर निवेशक/ट्रेडर के दो सबसे बड़े दुश्मन हैं उसका अपना अतिविश्वास और भीड़ की मानसिकता। हम ताल ठोंककर मानते हैं कि जितना जान सकते हैं, उससे भी ज्यादा जानते हैं। भीड़ की मानसिकता यह है कि ज्यादातर लोग ऐसा कर रहे हैं तो हमें भी वैसा करना चाहिए। हर किसी में ये दोनों प्रवृत्तियां किसी न किसी मात्रा में होती हैं। लेकिन ये दोनों ही हमारी मेहनत से जुटाई पूंजी को खा जाती हैं। समझिए, बचिए, बढ़िए…औरऔर भी

ट्रेडिंग का मकसद है खरीदने-बेचने का ऐसा चक्कर चलाना ताकि हमारे खाते में बराबर धन आता रहे। इसके दो खास तरीके हैं। दोनों के तौर-तरीके अलग हैं। स्विंग ट्रेड में पांच-दस दिन के लिहाज से एक-दो सौदे करते हैं और रिस्क रिवॉर्ड अनुपात 1:3 से ज्यादा रखते हैं। वहीं इंट्रा-डे में नियम है कि दिन में कम से कम दस सौदे करने चाहिए और न्यूनतम रिस्क रिवॉर्ड अनुपात 1:2.5 का होना चाहिए। अब नए हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

हिंडाल्को व टाटा स्टील कभी अच्छी कंपनियां थीं। उनका कैश फ्लो अच्छा था। पर जब से इन्होंने बिजनेस मॉडल बदला, बड़े बड़े अधिग्रहण करने लगीं तो इन पर ऋण का बोझ बढ़ता और पूंजी पर रिटर्न घटता गया। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन्होंने बीते बीस सालों में निवेशकों को इत्ता भी रिटर्न नहीं दिया कि महंगाई की भरपाई हो सके। सो, टेक्निकल के साथ फंडामेंटल को भी देखना ज़रूरी है। अब आज की ट्रेडिंग…औरऔर भी

आप ऐसे ट्रेडर तो नहीं जो खुद का नुकसान करने पर आमादा है? ट्रेडिंग से हुए फायदे-नुकसान का ग्राफ बनाएं। अगर कुल मिलाकर ग्राफ का रुख ऊपर है तो आप सही जा रहे हैं। अन्यथा, तय मानिए कि आप बाज़ार की चाल नहीं पकड़ पा रहे और अपना ही नुकसान करने की फितरत के शिकार हैं। गहराई से सोचिए और अपने नज़रिए की पड़ताल कीजिए। इस बीच सौदों का साइज़ फौरन घटा दीजिए। अब रुख बाज़ार का…औरऔर भी

हमने यहीं पर 16 नवंबर 2011 को एवरेस्ट इंडस्ट्रीज में निवेश की सलाह दी थी। तब उसका शेयर 138 रुपए पर था। इस साल 9 जनवरी तक 282.70 की चोटी पर पहुंचा और गिरने के बावजूद अब भी 37% ऊपर 189 पर है। 14 सितंबर 2010 को कावेरी सीड में निवेश को कहा, तब उसका शेयर 283.50 रुपए पर था। इस साल 16 जनवरी को 1491 तक जाने के बाद फिलहाल 1247 पर है। अब दूसरा पहलू…औरऔर भी