पंखों का पैटर्न
फूलों की पंखुड़ियों से लेकर तितलियों के पंखों तक में पैटर्न है। अंदर-बाहर की इस दुनिया में ऐसा कुछ नहीं, जहां क्रमबद्धता न हो, दोहराव न हो। हमारे जीवन तक में एक पैटर्न चलता है जिसे पकड़ने की जरूरत है।और भीऔर भी
फूलों की पंखुड़ियों से लेकर तितलियों के पंखों तक में पैटर्न है। अंदर-बाहर की इस दुनिया में ऐसा कुछ नहीं, जहां क्रमबद्धता न हो, दोहराव न हो। हमारे जीवन तक में एक पैटर्न चलता है जिसे पकड़ने की जरूरत है।और भीऔर भी
कामयाब लोगों के घनेरों विचार, जीवन की गुत्थियों को सुलझाने वाले बहुतेरे सूत्र, गुरुओं की वाणी। हम पढ़ते हैं, सुनते हैं। वाह-वाह करते हैं, झूम जाते हैं। पर मंत्र नहीं मिलता क्योंकि हम उन्हें अपना नहीं बनाते।और भीऔर भी
एक समय की अच्छी बातें आगे जाकर रूढ़ि बन जाती है। मूर्तिभंजक ही मूर्तिपूजक बन जाते हैं। इसलिए जिस तरह सांप अपनी केंचुल उतारता रहता है, उसी तरह हमें भी रूढ़ियों को फेंकते रहना चाहिए।और भीऔर भी
ज़िदगी में सांस एक बार, मगर सांसें बार-बार टूटती हैं। धारा के खिलाफ चलने और चढाइयां चढ़ने के दौरान अक्सर ऐसा होता है। लेकिन जो बार-बार टूटती सांसों को जोड़ने का हुनर सीख लेते हैं, ज़िंदगी उन्हीं की होती है।और भीऔर भी
दो शब्दों के जादुई शब्द बीमा से दरअसल आपको अप्रत्याशित हालात में अपनी व परिवार की सुरक्षा करने में सहायता मिलती है। जीवन की राह में सुरक्षित चलने के लिए बीमा जरूरी भी है। यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान-यूलिप, टर्म इंश्योरेंस, होम इंश्योरेंस, पेंशन प्लान, सिंगल प्रीमियम प्लान, हेल्थ इंश्योरेंस व वाहन बीमा जैसे रूपों व योजनाओं में बीमा की विभिन्न पॉलिसियां आज बाजार में मौजूद हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि इनकी खरीदारी लोग एजेंटऔरऔर भी
जानने की पहली सीढ़ी है सवाल। जिसके पास भी सवाल होंगे, उसे उनका जवाब मिल जाएगा। सब कुछ है इस दुनिया में। हां, इतना जरूर है कि यहां कुछ भी पाने से पहले उसकी पात्रता हासिल करनी पड़ती है।और भीऔर भी
याददाश्त जितनी छोटी होती जाती है, हमारे अहसास उतने लंबे होते चले जाते हैं। हमारे लिए हमारा पूरा जीवन उसी छोटी पोटली में सिमट जाता है। लगता ही नहीं कि इसके अलावा भी हमने कुछ और देखा-परखा है।और भीऔर भी
ज़िंदगी को संवारने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ती है। इस बीच थकने-हारने पर रोना आए तो रो लेना चाहिए जी भर। आखिर रोने में क्या बुराई! रोने से मन हल्का होता है और हल्का मन उड़ने लगता है, हल्के-हल्के।और भीऔर भी
मरीचिकाएं रेगिस्तान में ही नहीं, जीवन में भी होती हैं। पत्ते आम के होते हैं, लेकिन पेड़ बबूल का होता है। लोग जैसे दिखते हैं, होते नहीं। दूर से अंदर की परतें नहीं दिखतीं, जबकि यही तो असली हैं, बाहर बस खोल है।और भीऔर भी
जो लोग जीवन को रंगमंच कहते हैं वे या तो खुद भ्रम में हैं या झूठ बोलते हैं। जीवन तो युद्ध क्षेत्र है और हम सभी योद्धा। यहां सिर्फ प्रतिभा ही काफी नहीं। युद्ध कौशल के लिए निरंतर अभ्यास व अनुशासन जरूरी है।और भीऔर भी
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