हर जीव प्रकृति के साथ एक खास संतुलन में जन्मता, पलता व बढ़ता है। संतुलन न बिगड़े तो जीवन चक्र पूरा चलता है। इंसान भी चाहे तो मूल तत्वों के सही संतुलन से खुद को स्वस्थ रख सकता है।और भीऔर भी

जीवन चक्र के चौथे हिस्से की संभावना पर बहस खत्म होती नहीं दिख रही है। ताजातरीन खबर यह है कि अमेरिकी वैज्ञानिकों ने जीवन चक्र की एक पूरी नई शाखा खोजने का दावा किया है। धरती पर जीवों को फिलहाल तीन स्वरूपों में बांटा गया है। इनमें पशु, पेड़-पौधे, मनुष्य, जीवाणु आदि आर्गेनिज्म की श्रेणी में आते हैं और शेष दो श्रेणियां माइक्रोआर्गेनिज्म कहलाती हैं। लेकिन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानी प्रोफेसर जोनाथन ईसेन ने दावा किया किऔरऔर भी

हम बहुत सारी चीजों को ही नहीं, बहुत सारे लोगों को भी टेकन-फॉर ग्रांटेड ले लेते हैं। खासकर उन लोगों को जो हम से बेहद करीब होते हैं जैसे बीवी-बच्चे। ये लोग हमारे अस्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं उसी तरह जैसे हमारे हाथ-पांव, हमारी आंख-नाक, हमारे कान जिनके होने को हम पूरी तरह भुलाए रहते हैं जब तक इनमें से किसी को चोट नहीं लग जाती। इनके न होने का दर्द उनसे पूछा जाना चाहिए जोऔरऔर भी