जिस तरह हमारे शरीर की सीमाएं हैं, उसी तरह हमारे दिमाग की भी सीमाएं हैं। मानव मस्तिष्क को पांच से ज्यादा वेरिएबल्स दे दो तो वह फ्रीज़ हो जाता है, कन्फ्यूज़ होकर काम ही करना बंद कर देता है। इसलिए बाज़ार का विश्लेषण करते वक्त पांच से ज्यादा संकेतकों या अलग डाटा का इस्तेमाल हमें भ्रमित कर सकता है। हमें चार्ट से बाज़ार में सक्रिय लोगों की सक्रियता समझनी है। अब करते हैं आगाज़ इस हफ्ते का…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग एक तरह का बिजनेस है। इसमें बराबर हर सौदे में मुनाफा कमाना संभव नहीं। यह दुनिया भर के अनुभवी ट्रेडरों का सबक है। कई बार घाटा उठाना पड़ता है। यह घाटा न्यूनतम हो, इसके लिए स्टॉप-लॉस का अनुशासन बना है। इसलिए हर ट्रेड में एंट्री के साथ-साथ स्टॉप-लॉस का स्तर तय करना ज़रूरी है। दरअसल, स्टॉप-लॉस के घाटे को इस बिजनेस की लागत माना जाता है। अब उतरते हैं आज के बाज़ार में…औरऔर भी

दो हफ्ते पहले गुजरात-महाराष्ट्र से सटे आदिवासी इलाके में सर्वोदय मंडल का काम देखने गया था तो बेहद उत्साही बुजुर्ग खंडेलवाल जी से मिलना हुआ। उम्र 84 साल। पहले सीए थे। अब पिछले तीस सालों से सामाजिक कार्यकर्ता हैं। शेयर बाज़ार में पहले निवेश करते थे। अब उसकी कमाई समेट रहे हैं। उन्होंने हिंद लीवर का शेयर एक रुपए में लिया था। अभी 700 के आसपास है। लंबे निवेश का यही फायदा है। आज एक लार्ज-कैप स्टॉक…औरऔर भी

परसों कहा गया कि एलएंडटी का 6.45% गिरना अपने साथ शेयर बाज़ार को डुबा ले गया। कल यह तोहमत उसके साथ ही साथ एसबीआई पर भी लग गई क्योंकि एलएंडटी के शेयर 6.49% और गिरे, वहीं एसबीआई को 7.96% का सदमा लगा। निफ्टी में एलएंडटी का भार 4.05% और एसबीआई का भार 2.93% है। पर असल में यह झलक है कि सस्ते धन का प्रवाह रुकने से बुलबुला कैसे पिचक सकता है। बाज़ार अब घबराने लगा है।…औरऔर भी