दीर्घकालिक निवेश और अल्पकालिक ट्रेडिंग के नीति-नियम अलग-अलग हैं। निवेश को लेकर वॉरेन बफेट का कहना है कि जब बाज़ार में औरों पर लालच हावी हो तो आप डर-डरकर कदम उठाएं और जब औरों पर डर छाया हो तो आप लालची हो जाएं। लेकिन ट्रेडिंग में न्यूनतम रिस्क की नीति कहती है कि जब बाज़ार लालच से पागल हो उठा हो तब आप कभी भी बेचकर या शॉर्ट से कमाने की न सोचें। अब बुधवार का बाज़ार…औरऔर भी

बहुत से चार्ट पैटर्न और इंडीकेटर उल्टे संकेत दें तो हम पक्का निर्णय नहीं ले पाते। ऐसे में संभावना पकड़कर चलना चाहिए। मगर, ज्यादातर लोग पक्का निर्णय चाहते हैं। वे अनिश्चितता को पचा नहीं पाते। मन से निर्णय करते हैं। मानते हैं कि बाज़ार उन्हें सही साबित करेगा। सही होने का यह गुरूर अक्सर उन्हें बहुत महंगा पड़ता है। बाज़ार के पलटते ही हमें बगैर चूं-चपट किए घाटा काटकर हट जाना चाहिए। जिद से बचें, बढ़ें आगे…औरऔर भी

गलतियां मंजे हुए ट्रेडर भी करते हैं। इसके बावजूद मुनाफा कमाते हैं क्योंकि वे अपने घाटे की सीमा या स्टॉप-लॉस बांध कर चलते हैं। स्टॉप-लॉस के दो आधार हैं, धन गंवाने की आपकी क्षमता और टेक्निकल एनालिसिस। सबसे पहले यह देखें कि किसी सौदे में आप कितना गंवा सकते हैं। सौदे को लेकर आश्वस्त नहीं हैं तो न्यूनतम रिस्क लें। फिर टेक्निकल एनालिसिस से निकलने का सटीक भाव तय कर लें। अब करते हैं रुख बाज़ार का…औरऔर भी