कुछ भी स्थाई नहीं। न दुख, न सुख। पौधे पर एक पत्ती इधर तो एक पत्ती उधर। छोटा से छोटा कण भी अपनी धुरी पर अनवरत घूम रहा है। इसलिए अभी कृष्ण पक्ष है तो शुक्ल पक्ष अगला है। यह लीला नहीं, नियम है।और भीऔर भी