krishna-gopis

जो भी पैदा हुआ है, वह मरेगा। यह प्रकृति का चक्र है, नियम है। ट्रेन पर सवार हैं तो ट्रेन की होनी से आप भाग नहीं सकते। कूदेंगे तो मिट जाएंगे। यह हर जीवधारी की सीमा है। इसमें जानवर भी हैं, इंसान भी। लेकिन जानवर प्रकृति की शक्तियों के रहमोकरम पर हैं, जबकि इंसान ने इन शक्तियों को अपना सेवक बनाने की चेष्ठा की है। इसमें अभी तक कामयाब हुआ है। आगे भी होता रहेगा। मगर, यहांऔरऔर भी

जो लोग थोड़े समय में अपना निवेश वापस पा लेना चाहते हैं, वे अदूरदर्शिता के शिकार हैं। थोड़े समय में कोई भी विचार पूरा खिल नहीं पाता। हो सकता है कि कई साल तक उससे कुछ न निकले। लेकिन जब वह फलीभूत होगा तो अरबों की बारिश कर सकता है।और भीऔर भी