बहुचर्चित कहावत है कि स्टॉप-लॉस लगते ही जिस ट्रेडर का दिल बैठ जाए, उसकी हालत उस सर्जन जैसी है जो ऑपरेशन टेबल पर मरीज का खून देखते ही बेहोश हो जाए। यहां सारा खेल प्रायिकता है। अच्छे से अच्छे ट्रेड के भी गलत होने की प्रायिकता 20-25% हो सकती है। घाटा ज्यादा न लगे, इसीलिए स्टॉप-लॉस की व्यवस्था की गई है। कुछ लोग तो स्टॉप-लॉस को स्टॉक ट्रेडिंग की लागत बताते हैं। अब चलाएं बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

सहज स्वभाव जीवन के बहुतेरे क्षेत्रों में बड़े काम का हो सकता है। पर ट्रेडिंग में यह आपको कंगाल बना सकता है। कारण, ट्रेडिंग में कमाई के लिए दो चीजें ज़रूरी हैं। पहली, बाज़ार कैसे काम करता है, इसकी जानकारी। इसे हम सहज स्वभाव से नहीं जान सकते। इसके लिए परत-दर-परत हमें पैठना पड़ता है। दूसरी ज़रूरी चीज़ है अनुशासन। ट्रेडिंग के नियम बनाकर सख्ती से पालन। यह भी कतई सहज नहीं। अब पकड़ें मंगलवार की धार…औरऔर भी

इंसानी दिमाग बना ही ऐसा है कि वो सीधी-साफ चीजें चाहता है। भले ही ऐसी बातों में दम हो या न हो। इसी कमज़ोरी को पकड़ने के लिए टेलिविज़न न्यूज़ के एंकर इस तरह बात करते हैं जैसे उनको सर्वज्ञ हों। लेकिन इतना सरलीकरण आम जीवन में नहीं चलता तो फाइनेंस व शेयर बाज़ार की बात ही क्या। इसीलिए प्रोफेशनल ट्रेडर के लिए बिजनेस चैनलों को देखना तत्काल बंद करना ज़रूरी है। चलिए देखें सोमवार की संभावनाएं…औरऔर भी

अगर आपको कहीं अंदर से लगता है कि शेयर बाज़ार को सिर्फ बढ़ना ही बढ़ना है तो आप अभी निवेश/ट्रेडिंग के लिए तैयार नहीं हैं। अर्थव्यवस्था में सुस्ती/मंदी भी आएगी और शेयर बाज़ार में गिरावट भी आएगी। यह अकाट्य सत्य है। अगर यह आपके गले नहीं उतरता तो आप यथार्थ नहीं, भ्रम में जी रहे हैं। और, भ्रमों की दुनिया में ख्याली पुलाव पकाए जा सकते हैं, कमाई नहीं की जा सकती। अब बुधवार का ट्रेडिंग बौद्ध-सूत्र…औरऔर भी

इस समय दुनिया भर में हाई फ्रीक्वेंसी और अल्गोरिदम ट्रेडिंग पर बहस छिड़ी हुई है। इस हफ्ते सोमवार और मंगलवार को हमारी पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने भी इस पर दो दिन का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन किया। इससे एक खास बात यह सामने आई कि सेकंड के हज़ारवें हिस्से में ट्रेड करनेवाले ऐसे महारथी भी पहले छोटे सौदों से बाज़ार का मूड भांपते हैं और पक्का हो जाने पर बड़े सौदे करते हैं। अब वार बुधवार का…औरऔर भी

ट्रेडिंग में अगर हर दिन नोट बनने लगें तो इससे अच्छा क्या हो सकता है? हर कोई यही चाहता है। लेकिन नोटों के पीछे भागने से कभी आप खुश नहीं सकते क्योंकि सारी दुनिया का धन कभी आपके पास नहीं आ सकता। कामयाब/प्रोफेशनल ट्रेडर धन के पीछे नहीं भागता। वह अक्सर ट्रेडिंग पर बकबक भी नहीं करता। वो बड़े धीरज से कमाता है ताकि जीवन में कुछ दूसरी महत्वपूर्ण चीजें कर सके। अब नए सप्ताह का आगाज़…औरऔर भी

क्या शेयर बाज़ार में वाकई ऐसे लोग भरे पड़े हैं जो भावनाओं के गुबार में गुब्बारा बन जाते हैं या यह गुबार सिर्फ नई मछलियों को फंसाने का चारा भर होता है? बीते सोमवार को निफ्टी सुबह-सुबह 6670.30 तक उछलकर आखिर में 6363.90 पर बंद हुआ था। वही इस सोमवार तक हफ्ते भर में ही महीना भर पीछे जाकर 6154.70 पर बंद हुआ। भावनाओं के इस खेल में खिलाड़ी कौन है? चिंतन-मनन करते हुए बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

ट्रेडिंग में कामयाब होने के लिए एक तरफ जहां आपको अपने ऊपर भरोसा ज़रूरी है, वहीं दूसरी तरफ सावधानी भी चाहिए। केवल एक का होना खतरनाक है। अगर आप निधड़क हैं, लेकिन सतर्क नहीं तो बहुत मुमकिन है कि आप मग़रूर और फेंकू हो जाएंगे। यह किसी भी ट्रेडर के लिए आत्मघाती है। वहीं अगर आप चौकन्ने हैं, लेकिन अपने पर भरोसा नहीं तो सही मौके भी हाथ से फिसल जाएंगे। अब रूख आज के बाज़ार का…औरऔर भी

मैं गलत कैसे हो सकता हूं? एक-न-एक दिन साबित हो जाएगा कि मैंने जो फैसला लिया, वो कितना सही था। कुछ ऐसा ही सोचकर हम पुराने फैसलों से चिपके रहते हैं और अपने सही होने का इंतज़ार करते हैं। वक्त सरकता जाता है, पर हमें सही साबित करने का वक्त कभी नहीं आता। जीवन में यह सोच भले चल जाए, लेकिन शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से चिपक जाए तो बरबाद कर डालती है। अब आज का अध्याय…औरऔर भी

नियम है कि बाज़ार में एंट्री मारते समय बहुत सावधानी बरतें। पूरी रिसर्च के बाद ही किसी सौदे को हाथ लगाएं। लेकिन निकलने में तनिक भी देर न करें। राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था। हल्की-सी आहट मिली कि खटाक से निकल लिए। पर आम लोग इसका उल्टा करते हैं। घुसते खटाक से हैं। लेकिन लंबा इंतज़ार करते हैं कि बाज़ार उनकी चाहत पूरा करेगा, तभी निकलेंगे। देखते हैं आज का बाज़ार…औरऔर भी