पिछले दो सालों से दुनिया भर की सरकारों और केंद्रीय बैंकों के लिए मुसीबत बना संकट अब लगभग मिट चुका है। अब हमें उन चुनौतियों पर ध्यान देने की जरूरत है जिनसे हमें आगे के सालों में जूझना है। तय-सी बात है कि औद्योगिक देश अब धीमे विकास के दौर में प्रवेश कर रहे हैं। दूसरी तरफ भारत लगातार मजबूत हो रहा है और भविष्य में अच्छी प्रगति की संभावना है। हमारी घरेलू बचत दर बढ़कर जीडीपीऔरऔर भी