यह देश गांधी, सुभाष व पटेल का था, तब था। अभी हमारा है। जब हैं, तभी तक है क्योंकि देश तो वह पौध है जो पीढ़ी दर पीढ़ी लहलहाती रहती है। जो अगली पीढ़ी की नहीं सोचता, वह देशभक्त नहीं, भोगी है।और भीऔर भी

हम में से ज्यादातर लोग जिंदगी भर बच्चे बने रहते हैं तो अभिभावक कैसे बन पाएंगे! जब तक बड़े होते है तब तक बच्चे भी बड़े हो चुके होते हैं तो पीढ़ियों के नाम पर आपस की ही होड़ शुरू हो जाती है।और भीऔर भी