किसी शेयर का मूल्य कंपनी के भावी अनुमानित कैश फ्लो को आज तक डिस्काउंट कर के निकाला जाता है। कैश फ्लो कंपनी के अंदर की चीज़ है, जबकि डिस्काउंट दर बाहर की। डिस्काउंट दर के दो निर्धारक तत्व होते हैं सरकारी बांडों की अल्पकालिक ब्याज और निवेशकों में रिस्क से बचने की प्रवृत्ति। रिस्क की प्रवृत्ति पर फिर कभी। अभी यह जानें कि ब्याज बढ़ने पर शेयर का मूल्य घट जाता है। कैसे मिलेगा आज इसका सबूत…औरऔर भी

अक्सर बेहद छोटी-छोटी बातें हमें उलझाए रखती हैं। जैसे, अपने एक सबसक्राइबर ने ई-मेल से काफी पहले पूछा था कि स्विंग या मोमेंटम ट्रेड कैसे करें क्योंकि उनका ब्रोकर केवल इंट्रा-डे ट्रेड की ही सुविधा देता है। इतनी देर से जवाब देने के लिए मैं उनसे माफी चाहता हूं। मेरा कहना है कि नाम में न जाएं। स्विंग या मोमेंटम सामान्य खरीद-फरोख्त के ही सौदे हैं। खरीदा और पांच-दस दिन बाद बेच दिया। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में खरीदना तो आसान है, बेचकर निकलना बेहद कठिन। खासकर तब, जब सूचकांक और स्टॉक हर दिन नया शिखर बना रहा हो। पर सुना है, इसका एक सूत्र है। स्टॉक के आरएसआई के अब तक के उच्चतम स्तर और अभी के स्तर का अंतर निकालें। देखें कि वो अंतर उच्चतम स्तर का कितना प्रतिशत है। उतना प्रतिशत स्टॉक के अभी के भाव को बढ़ा दें। वो आपके निकलने का स्तर होगा। अब बुध की बुद्धि…औरऔर भी

भावों में छिपा है कंपनी का सारा हाल, उसी तरह जैसे नाड़ी खोल देती है शरीर का सारा राज़। लेकिन कुशल वैद्य ही नाड़ी की धड़कन पढ़ सकता है तो भावों का चार्ट पढ़ने के लिए भी चाहिए विशेष दृष्टि। सबसे खास है यह पकड़ना कि किसी वक्त बड़े निवेशकों/संस्थाओं की तरफ से आनेवाली मांग और सप्लाई का ठीक-ठीक संतुलन क्या है? यह पकड़ लिया तो समझिए, हाथ लग गई बाज़ार की नब्ज। अब गुरुवार की दृष्टि…औरऔर भी

कामयाब ट्रेडर कंपनी या अर्थव्यवस्था के मूलभूत पहलुओ पर ट्रेड नहीं करता। लेकिन वो इनसे वाकिफ ज़रूर रहता है। यह जानना ज़रूरी है कि अर्थव्यवस्था की समग्र तस्वीर क्या है और कंपनी की क्या स्थिति है, भले ही हम उसके आधार पर रोज़-ब-रोज़ के ट्रेड न करें। भावों की चाल और सौदों का वोल्यूम देखकर हम चार्ट पर लोगों की भावनाओं को पकड़ते हैं। याद रखें। लोग झूठ बोल सकते हैं, चार्ट नहीं। अब ट्रेडिंग बुधवार की…औरऔर भी

आप कितने ही मजबूत हों, आठ-दस लोग मिलकर दबाने लगें तो आपके घुटने मुड़ ही जाएंगे। भीड़ भले ही जाहिल हो, लेकिन आप उसकी ताकत का मुकाबला नहीं कर सकते। भीड़ बनाती है ट्रेंड। इसलिए ट्रेडिंग करते वक्त कभी ट्रेंड के खिलाफ न जाएं। रुझान ऊपर का हो तो खरीदें, अन्यथा किनारे खड़ें रहें। शॉर्ट कभी न करें। भीड़ से डरें नहीं। उसके साथ चलना जरूरी नहीं, लेकिन उसके खिलाफ कभी न जाएं। अब रुख बाज़ार का…औरऔर भी

अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं। परपंरा है कि इस दिन सोना खरीदा जाता है तो तमाम ज्वैलरों ने इसे भुनाने के लिए लुभावनी पेशकश कर रखी है। यहां तक कि गोल्ड ईटीएफ में ट्रेडिंग के लिए बीएसई और एनएसई ने बाज़ार को 7 बजे तक खुला रखा है। 9.15 से लेकर 3.30 तक सामान्य ट्रेडिंग, फिर 4.30 से लेकर 7 बजे तक विशेष ट्रेडिंग। सोना खरीदना ही हो तो गोल्ड ईटीएफ खरीदें। अब देखते हैं आज का बाज़ार…औरऔर भी

फेसबुक के आईपीओ को साल भर हो गए। 38 डॉलर का शेयर 28.31 डॉलर पर है। उस आईपीओ पर यह दाग भी लगा था कि उससे जुड़ी फर्मों मॉरगन स्टैनले, गोल्डमैन सैक्श व जेपी मॉरगन ने बड़े ग्राहकों को अंदर की अहम जानकारियां बांटी थीं जिससे छोटे निवेशकों को तगड़ी चोट लगी। अपने यहां कंपनी की कृपा पर जीते एनालिस्टों और मर्चेंट बैंकरों का खेल तो इससे भी विकराल है। ऐसे अधम बाज़ार में कैसे करें शिकार…औरऔर भी

शेयर बाज़ार दिमागदार शेरों के लिए है, कमज़ोर दिलवालों के लिए नहीं। यहां जो घबराया, समझो गया। जो डरा सो मरा। इसीलिए कहते हैं कि शेयर बाज़ार में अच्छे दिमाग से भी ज्यादा अहम है अच्छा नर्वस सिस्टम। अर्थव्यवस्था में जितना भी नया मूल्य बनता है, उसमें हिस्सेदारी का बाज़ार है यह। यहां लोकतंत्र है बराबर के जानकारों का। पर सूचनाओं और ज्ञान की विषमता इसे भीड़तंत्र बना देती है। देखें, क्या रहेगी आज बाज़ार की दशा-दिशा….औरऔर भी

पटनी कंप्यूटर्स को छोड़ दें तो अभी तक कुल तीन चिरकुट किस्म की कंपनियों ने मार्च तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। असली सिलसिला शुक्रवार, 13 अप्रैल को इनफोसिस के नतीजों के साथ शुरू होगा। चौथी तिमाही के नतीजे बाजार की दशा-दिशा तय करने का मुख्य आधार बनेंगे। हां, इससे भी बड़ा ट्रिगर ठीक हफ्ते भर बाद आनेवाली रिजर्व बैंक की सालाना मौद्रिक नीति होगी। लेकिन लगता है जैसे बाजार अपना दम खो चुका है और उठनेऔरऔर भी