झुके नहीं, रुके नहीं, बढ़ता रहे कारवां…
काम ऐसे करो जैसे कि तुम्हें धन चाहिए ही नहीं। प्यार ऐसे करो जैसे कि तुम्हें कभी चोट ही नहीं लगती। और, नाचो ऐसे जैसे कि तुम्हें कोई देख ही नहीं रहा। जो लोग नियमित रूप से अर्थकाम पढ़ते होंगे, उन्होंने यह वाक्य जरूर पढ़ा होगा। अपुन इसी सोच के हैं। अर्थकाम की धुन लग गई तो बस यही बात छाई रही कि कैसे आपके लिए बेहतर से बेहतर सूचना, ज्ञान व जानकारी पेश कर दूं। लगाऔरऔर भी