हम मूर्ख सही, आप तो खुश हो!
2010-06-11
कविवर बिहारी का यह दोहा आपको भी याद होगा कि रे गंधि! मतिअंध तू, अतरि दिखावत काहि, कर अंजुरि को आचमन, मीठो कहत सराहि। सुगंध बेचनेवाले तू इन लोगों को इत्र दिखाने की मूर्खता क्यों कर रहा है। ये लोग तो इत्र को अंजुरी में लेकर चखेंगे और कहेंगे कि वाह, कितनी मीठी है। लेकिन कभी-कभी मूर्खता दिखाने में भी फायदा होता है। कैसे? तो… आपको एक कहानी सुनाता हूं। एक समय की बात है। उज्जैनी राज्यऔरऔर भी