आशा और विश्वास
आशा और विश्वास के बिना किसी मंजिल पर नहीं पहुंचा सकता। आशा और विश्वास पूरी यात्रा के दौरान न केवल संतुलन बनाए रखते हैं, बल्कि वे प्रेरणा देते हैं, शक्ति देते हैं और देते हैं – सहनशीलता।और भीऔर भी
आशा और विश्वास के बिना किसी मंजिल पर नहीं पहुंचा सकता। आशा और विश्वास पूरी यात्रा के दौरान न केवल संतुलन बनाए रखते हैं, बल्कि वे प्रेरणा देते हैं, शक्ति देते हैं और देते हैं – सहनशीलता।और भीऔर भी
कोई कितना ही रोके, चलनेवाले तो अपनी मंजिल और मौका तलाश ही लेते हैं। पानी अपनी डगर बना ही लेता है। हमारा काम बस इतना है कि समाज में जंगल की निरंकुशता न पले, अराजकता न चले।और भीऔर भी
समस्याएं आती हैं, लेकिन अपने भीतर नए अवसरों को भी छिपाकर लाती हैं। जो लोग समस्याओं के व्यूह को तोड़ते हैं, वे ही अवसरों के मुंहाने तक पहुंचते हैं, जहां से सफलता की मंजिल ज्यादा दूर नहीं होती।और भीऔर भी
निराशा आपको ठहरकर हर नकारात्मक पहलू पर गौर करने का मौका देती है। इसका एक चक्र है। मंजिल के हर पड़ाव पर यह आपको जकड़ देती है ताकि आप और ज्यादा ताकत व विश्वास से आगे बढ़ सकें।और भीऔर भी
जिस तरह गाड़ी का पेट्रोल एक मंजिल तक ही पहुंचाता है, वैसे ही भावना किसी लक्ष्य तक पहुंचाने का आधार भर होती है। लक्ष्य पाने के बाद उसकी जगह नई भावना भरनी पड़ती है, तभी जाकर गाड़ी आगे बढ़ती है।और भीऔर भी
“पहले कहा जाता था कि जिसकी कोई मंजिल नहीं होती, वह कोई भी राह पकड़कर, लहरों पर सवार होकर कहीं न कहीं पहुंच जाता है। लेकिन आज की हकीकत यह है कि जिसकी कोई मंजिल नहीं होती, कोई ध्येय नहीं होता, कोई भी राह या लहर उसे कहीं नहीं पहुंचाती।”और भीऔर भी
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