मनोरंजन के इतने साधन, फिर भी सांस्कृतिक शून्य? चैनल पर चैनल सर्फ करते जाने का यह कैसा चटोरापन? ओस प्यास नहीं बुझाती, बाजार कभी शून्य नहीं भरता। इसे तो हमें खुद ही भरना होगा।और भीऔर भी