बेबसी कैसी!
हम प्रकृति से बने हैं। प्रकृति के सामने अक्सर बेबस हो जाते हैं। लेकिन समाज के सामने बेबसी बकवास है। समाज को हमने बनाया है तो इसे ठोंक-पीटकर बराबर दुरुस्त करते रहने का काम भी हमारा है।और भीऔर भी
जो करो, सब सही
तुम कुछ भी कहो, मैं तो ठसक से यही बोलूंगा कि मैं जो भी करता हूं वह सही होता है। यह मेरा विश्वास है और विश्वास के किया गया काम गलत नहीं होता। गलत हुआ भी तो मैं ही इसे सुधारूंगा, तुम नहीं।और भीऔर भी
कहां का अगला जन्म!
न सीखने की कोई उम्र होती है और न ही गलतियों को दुरुस्त करने के लिए अगले जन्म की जरूरत होती है। जो कहते हैं कि अगले जन्म ये गलती नहीं करेंगे, वे बस अपनी चमड़ी बचा रहे होते हैं।और भीऔर भी
विचार का पुनर्जन्म
जो कल सही था, आज भी सही हो, जरूरी नहीं। विचार या व्यक्ति का सही होना तय करती है प्रासंगिकता। हर वस्तु व इंसान की तरह विचार का भी जीवनकाल होता है। हर विचार को नया जन्म लेना ही पड़ता है।और भीऔर भी