हम किसी को या तो पूरा सही मान लेते हैं या एकदम खारिज कर देते हैं। या तो हां या न। खटाखट नतीजों पर पहुंचने की जल्दी में रहते हैं हम। लेकिन खुद के विकास के लिए यह अतिवादी ढर्रा ठीक नहीं है।और भीऔर भी