रैखिक बनाम गोलाकार
इंसान की नज़र की सीमा है कि वह रैखिक ही देख सकता है। इसलिए रैखिक ही सोचना सहज है। लेकिन हकीकत यह है कि इस दुनिया में ही नहीं, पूरी सृष्टि में हर चीज का आकार आखिरकार गोल है। इसलिए सहज सोच अक्सर कारगर नहीं साबित होती।और भीऔर भी
एफआईआई जाएंगे कहां! ड्रामा है सब
बाजार का 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) से नीचे चले जाना कोई मामूली बात नहीं होती। लेकिन आज सुबह सवा दस बजे के आसपास यही हुआ, जब सेंसेक्स नीचे में 17,061.16 पर पहुंच गया। सेंसेक्स का 200 डीएमए फिलहाल 17,118.99 है। लेकिन कुछ ही समय बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से बयान आ गया कि वे पी-नोट्स को निशाना नहीं बना रहे हैं तो बाजार खटाक से चहकने लग गया। सेंसेक्स कुल 204.58 अंक की बढ़तऔरऔर भी
ये बातें झूठी बातें हैं, लोगों ने फैलाई हैं
शेयरों में निवेश कोई घाटा खाने या कंपनियों से रिश्तेदारी निभाने के लिए नहीं करता। अभी हर तरफ गिरावट का आलम है, अच्छे खासे सितारे टूट-टूटकर गिर रहे हैं तो ऐसे में क्या करना चाहिए? जो वाकई लंबे समय के निवेशक हैं, रिटायरमेंट की सोचकर रखे हुए हैं, उनकी बात अलग है। लेकिन अनिश्चितता से भरे इस दौर में शेयर बाजार में लांग टर्म निवेश का क्या सचमुच कोई मतलब है? लोगबाग दुनिया के मशहूर निवेशक वॉरेनऔरऔर भी
बेचने का फॉर्मूला एक है, सूत्र अनेक
शेयर तो हर कोई, जिसके पास भी डीमैट खाता है, आसानी से खरीद सकता है। लेकिन शेयरों से कमाई वही कर पाता है जो सही वक्त पर उन्हें बेच लेता है। ज्यादातर लोग तो हाथ ही मलते रह जाते हैं कि उस समय कितने टॉप पर गया था मेरा शेयर। काश, उस समय बेच लिया होता! मुश्किल यह है कि खरीदने की सलाह तो जगह-जगह से मिल जाती है। ब्रोकरों से लेकर हॉट टिप्स बांटनेवाली वेबसाइट्स औरऔरऔर भी
महज सहज बुद्धि और धन दनादन
यूं तो यह जमाना ही अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनने का है। लेकिन यहां मैं अपनी तारीफ नहीं कर रहा। बल्कि, यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि कैसे सहज बुद्धि से अच्छी कंपनियों का चयन किया जा सकता है और उनमें निवेश से फायदा कमाया जा सकता है। केवल दो उदाहरण देना चाहता हूं। एक, पेट्रोनेट एलएनजी का और दूसरा, ईसाब इंडिया का। पेट्रोनेट एलएनजी के बारे में हमने पहली बार चौदह महीने पहले 24औरऔर भी
सारे परिवार वित्तीय रूप से बीमार
देश के तकरीबन सारे परिवार वित्तीय रूप से बीमार हैं। यह कहना है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के निदेशक बोर्ड की इकलौती महिला सदस्य और ब्रोकर फर्म असित सी मेहता की प्रबंध निदेशक दीना मेहता का। उनके मुताबिक, “आज के दौर में महिलाओं और बच्चों को वित्तीय क्षेत्र से दूर रखना कोई भी परिवार गवारा नहीं कर सकता। अपनी बचत फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में रखने से कुछ नहीं होनेवाला क्योंकि मुद्रास्फीति आपके पैसे को खा जाती है।औरऔर भी