पेन्नी स्टॉक्स के नाम पर आम निवेशकों को फंसाने का खेल समूची दुनिया में व्याप्त है। बीते हफ्ते बाकायदा मेरे नाम पर एक ई-मेल आया कि आरसीएचए नाम का स्टॉक खरीद लीजिए। शुक्रवार को यह 20 सेंट का था। हफ्ते भर में पांच गुना बढ़कर एक डॉलर हो जाएगा। वाकई दो दिन में 60% बढ़कर 34 सेंट पर पहुंच गया! लेकिन यह ट्रैप है, अभिमन्यु को मारने का चक्रव्यूह। अब रामनवमी के अवकाश के बाद की ट्रेडिंग…औरऔर भी

जो लोग ट्रेडिंग से कमाई के लिए किसी जादुई मंत्र/सूत्र की तलाश में लगे हैं, वे भयंकर गफलत के शिकार है। रेगिस्तान में मरीचिका के पीछे भागते प्यासे हिरण जैसी उनकी हालत है। सारी दुनिया का अनुभव बताता है कि ऐसा कोई जादुई मंत्र नहीं है। बड़े-बड़े कामयाब ट्रेडर यह बात कह चुके हैं। यहां संभावना या प्रायिकता काम करती है। रिस्क/रिवॉर्ड का अनुपात देखकर लोग स्टॉप लॉस व लक्ष्य तय करते हैं। अब मंगल का बाज़ार…औरऔर भी

भारत ही नहीं, दुनिया भर में शेयर, कमोडिटी, फॉरेक्स बाज़ार के तमाम ट्रेडर पिछले भावों का चार्ट देखकर फैसला लेते हैं। लेकिन चार्ट तो सबके लिए समान है, फिर फैसले अलग-अलग क्यों? ऐसी चकरघिन्नी क्यों? एक ही वक्त किसी को मंदी तो किसी को तेज़ी नजर आती है! बात ऐसी भी नहीं कि जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। फर्क है आम तस्वीर के खास संकेतों को पकड़ने का। अब पकड़ें बुध का ट्रेड…औरऔर भी

आपने पतंग उड़ाई होगी या गौर से किसी को उड़ाते हुए देखा होगा तो आपको पता होगा कि पहले ढील देकर फिर अचानक डोर को खटाखट खींचकर कैसे सामनेवाले की पतंग काट दी जाती है। शेयर बाज़ार में नतीजों के दौरान उस्ताद लोग ऐसा ही करते हैं। इसलिए कम रिस्क उठाकर ट्रेडिंग करनेवालों नतीजों के दिन उस स्टॉक से दूर रहना चाहिए। उस्तादों की लड़ाई में कूदने की बहादुरी का कोई मतलब नहीं। अब शुक्रवार की ट्रेडिंग…औरऔर भी

ट्रेडिंग में अगर हर दिन नोट बनने लगें तो इससे अच्छा क्या हो सकता है? हर कोई यही चाहता है। लेकिन नोटों के पीछे भागने से कभी आप खुश नहीं सकते क्योंकि सारी दुनिया का धन कभी आपके पास नहीं आ सकता। कामयाब/प्रोफेशनल ट्रेडर धन के पीछे नहीं भागता। वह अक्सर ट्रेडिंग पर बकबक भी नहीं करता। वो बड़े धीरज से कमाता है ताकि जीवन में कुछ दूसरी महत्वपूर्ण चीजें कर सके। अब नए सप्ताह का आगाज़…औरऔर भी

शेयर/कमोडिटी में रोज़ाना लाखों लोग ट्रेडिंग करते हैं। इनमें 95% घाटा खाते हैं और 5% कमाते हैं। कारण, 5% प्रोफेशनल ट्रेडर हैं जो बुद्धि से ट्रेड करते हैं और बाकी 95% आम ट्रेडर भावना से। पहले को ख्याल रहता है कि सामने से कौन ट्रेड मार रहा है। दूसरे को होश नहीं कि आखिरकार सामने है कौन। किसी की टिप या अपने मन/इंट्यूशन से वो सौदा करता है। खुदा-न-खास्ता कभी कमाया तो आगे सब स्वाहा। अब आगे…औरऔर भी

कोने-कोने में बैठे हैं शेयर बाज़ार के सैकड़ों घाघ। बड़ौदा में बैठे एक घाघ के मुरीद दो महीने बता रहे थे कि साहब को क्रिस्टल-बॉल पर साफ-साफ दिखता है कि निफ्टी कहां जाएगा। शनिवार को मिले तो बोले, सब साले धोखेबाज़ हैं। दस दिन में 100 कमवाया तो एक दिन में सीधे 200 का फटका। दरअसल ये सभी पोंगापंथी हैं। लगा तो तीर नहीं तो तुक्का। इसलिए चमत्कार को मारकर लात चलें सीधे-सच्चे रास्ते पर। अब आगे…औरऔर भी

हमें वही रिस्क उठाना चाहिए जिसे पहले से नापा जा सके, बजाय इसके कि रिस्क उठाने के बाद नापा जाए कि उससे कितनी चपत लग सकती है। किसी सौदे में कितना नफा-नुकसान हो सकता है, इससे बेहतर है यह समझना कि कितना घाटा उठाकर हम कितना फायदा कमा सकते हैं। इसी तरह सफलता का रहस्य मुनाफा कमाने की जुगत में लगे रहने के बजाय घाटे से बचने में है। इन सूत्रों पर कीजिए मनन। बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में मांग और सप्लाई अक्सर स्थिर नहीं रहती। उनका संतुलन हर पल बदलता है। इसलिए भाव भी बराबर बदलते रहते हैं। कभी ऊपर तो कभी नीचे। भावों की गाड़ी हिचकोले खाते हुए चलती है। लेकिन कभी-कभी कुछ समय के लिए मांग और सप्लाई में बराबर का संतुलन बन जाता है। इसके बाद संतुलन टूटने पर भाव ऊपर या नीचे उछलते हैं। ट्रेडिंग में ऐसे मौके (एनआरएफ) बड़े काम के होते हैं। अब ट्रेडिंग शुक्र की…औरऔर भी