बाज़ार वही, शेयर भी वही। एक-सा उठना-गिरना। पर यहां कुछ लोग हर दिन नोट बनाते हैं, जबकि ज्यादातर की जेब ढीली हो जाती है। शेयर बाज़ार की बुनावट ही ऐसी है कि यहां कुछ कमाते हैं, अधिकांश गंवाते हैं। फुटबॉल मैच का उन्माद खोजनेवाले यहां पिटते हैं। काहिलों को बाज़ार खूब धुनता है। वो आपके हर आग्रह-दुराग्रह, कमज़ोरी का इस्तेमाल आपके खिलाफ करता है। सो, रियाज़ से हर खोट को निकालना ज़रूरी है। अब नज़र आज पर…औरऔर भी