तथ्य सत्य भी हो, कतई जरूरी नहीं
हम जितना देख पाते हैं, उतना मानकर चलते हैं। धरती वही। पहले सपाट मानते थे, अब गोल है। मानने को बदल दें तो देखने का फ्रेम/संदर्भ बदल जाता है, तथ्य बदल जाते हैं। मानिए तो शंकर है, कंकर है अन्यथा। यह आस्था की बात है। लेकिन ट्रेडिंग करते वक्त आस्था नहीं, सत्य की दृष्टि काम आती है। जो अपनी धारणाओं से निकलकर जितना सत्य देख पाता है, उतना कामयाब होता है। धारणाओं से ऊपर उठकर देखें बाज़ार…औरऔर भी
देखें धारणाओं व मान्यताओं से परे
हम अपनी मान्यताओं और धारणाओं से इतने बंधे होते है कि हम ट्रेडिंग या निवेश शेयर बाज़ार की वास्तविक स्थिति के हिसाब से नहीं, बल्कि अपनी मान्यताओं और धारणाओं के हिसाब से करते हैं। लेकिन शेयर बाज़ार ही नहीं, किसी भी क्षेत्र में कामयाबी की पहली शर्त यह है कि हम मुक्त मन और खुले दिमाग से काम करें। तब हमें अपनी धारणाओं की सीमा और निरर्थकता भी साफ दिखती है। अब पकड़ते हें बाज़ार की चाल…औरऔर भी
इंफ्रा के साथ गैमन में मची गमगम
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने की संभावनाएं बेहतर दिखने लगीं तो अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनियों के शेयर चमाचम हो उठे। बाजार भी नई ऊंचाई पर बंद हुआ। लेकिन मैं ही नहीं, समूचा बाजार इस तेजी को लेकर आश्वस्त नहीं है। इसी आश्वस्त न होने के चक्कर में वो तमाम ट्रेडर जो निफ्टी के 5200 के स्तर से ही शॉर्ट हुए पड़े हैं, अब भारी दबाव महसूस करने लगे हैं। हमारी टीमऔरऔर भी