मुहूर्त बीता। अब सम्वत 2071 की पहली ट्रेडिंग। इस मौके पर हर ट्रेडर को पांच बातें गांठ बांध लेनी चाहिए। पहली, ट्रेडिंग पर कभी भावनाओं को हावी न होने दें। दूसरी, हर हाल में अपनी ट्रेडिंग पूंजी संभालें। तीसरी, घाटा लगे तो उसे सीखने/ट्रेनिंग का खर्च मानें। चौथी, चंद हफ्तों या महीनों नहीं, बल्कि कई सालों के आंकड़ों की थाह लें। पांचवीं बात, हर ट्रेडिंग सिस्टम को अपग्रेड करते रहना पड़ता है। फिलहाल, नए सप्ताह का श्रीगणेश…औरऔर भी

कल बाज़ार बंद होने के बाद खबर आई कि औद्योगिक उत्पादन जून में घट गया, रिटेल मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़ गई। शेयरों के भाव ऐसी खबरों से कहीं ज्यादा अंतरराष्ट्रीय जगत और कंपनियों की हलचलों से प्रभावित होते हैं। लालच होता है कि हम भी खबरों पर ट्रेडिंग करें तो जमकर कमा लें। लेकिन यह मृग-मरीचिका है। खबरें पहुंचती हैं हमसे कहीं पहले, ऑपरेटरों तक। हमारे लिए तो चार्ट ही सहारा हैं। अब चलाएं बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

लंबे समय में शेयरों के भाव कंपनी के फंडामेंटल्स से तय होते हैं। लेकिन छोटे समय में न तो ये बदलते हैं और न ही इनकी खास अहमियत होती है। छोटे समय में सबसे ज्यादा अहम है जोखिम से बचने या रिस्क अवर्जन की मनःस्थिति। इसे नापने का बाकायदा गणितीय फॉर्मूला है। ट्रेडिंग के कुछ मॉडल इसी आधार पर भावी भाव का अनुमान लगाते हैं। मूल बात है संभावनाओं को समझना। अब करते हैं गुरुवार का प्रस्थान…औरऔर भी

ट्रेडिंग हम इसलिए करना चाहते हैं ताकि पैसा बना सकें। पैसा इसलिए बनाना चाहते हैं ताकि दुनिया में अपने व अपने परिवार के लिए सुख, समृद्धि और सुरक्षा के साधन जुटा सकें। आम व्यापार में लोगों तक उनके काम की चीजें पहुंचाकर हम मूल्य-सृजन करते हैं। लेकिन क्या शेयरों की ट्रेडिंग से ऐसा मूल्य-सृजन होता है? इसमें तो पैसा एक की जेब से निकलकर दूसरे के पास ही पहुंचता है! गंभीरता से सोचिए। नए हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

पेन्नी स्टॉक्स के नाम पर आम निवेशकों को फंसाने का खेल समूची दुनिया में व्याप्त है। बीते हफ्ते बाकायदा मेरे नाम पर एक ई-मेल आया कि आरसीएचए नाम का स्टॉक खरीद लीजिए। शुक्रवार को यह 20 सेंट का था। हफ्ते भर में पांच गुना बढ़कर एक डॉलर हो जाएगा। वाकई दो दिन में 60% बढ़कर 34 सेंट पर पहुंच गया! लेकिन यह ट्रैप है, अभिमन्यु को मारने का चक्रव्यूह। अब रामनवमी के अवकाश के बाद की ट्रेडिंग…औरऔर भी

एक तरफ अमेरिका का केंद्रीय बैंक उपाय सोच रहा है कि मौजूदा मौद्रिक ढील को कड़ा कैसे किया जाए, हर महीने 85 अरब डॉलर की बांड खरीद के दुष्चक्र से कैसे निकला जाए। दूसरी तरफ डाउ जोन्स सूचकांक गुरुवार को इतिहास में पहली बार 16,000 के पार चला गया क्योंकि बेरोजगारी की दर बिगड़कर 7.3% हो गई है और इसके सुधरकर 6.5% तक आने तक बांड खरीद रुक नहीं सकती। ऐसा है बाज़ार। अब ट्रेडिंग शुक्रवार की…औरऔर भी

हम सभी मूलतः रिटेल ट्रेडर ही तो हैं। लेकिन जब तक हम इस स्थिति से निकल प्रोफेशनल ट्रेडर का अंदाज़ नहीं अपनाते, तब तक पिटने को अभिशप्त हैं। लगातार घाटे से बचने के लिए हमें अपनी सोच को बदलना होगा। होता यह है कि जब प्रोफेशनल ट्रेडर या संस्थागत निवेशक खरीदते हैं, तब रिटेल निवेशक बेचते हैं। वहीं प्रोफेशनल ट्रेडर जब बेचते हैं, तब रिटेल निवेशक खरीदते हैं। इन मानसिकता को तोड़ने के लिए करते हैं अभ्यास…औरऔर भी

वही सॉफ्टवेयर, टेक्निकल एनालिसिस के वही इंडीकेटर, वही मुठ्ठी भर शेयर। फिर भी शेयर बाज़ार के 95% ट्रेडर घाटा खाते हैं। क्यों? आखिर, कामयाब ट्रेडर के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ क्या है? तेज दिमाग! उच्च शिक्षा!! सच यह है कि हाईस्कूल तक पढ़े लोग भी ट्रेडिंग से लाखों कमाते हैं। सफलता के लिए सबसे अहम तत्व है दृढ़ अनुशासन। सफल ट्रेडर अपने हर सौदे का रिकॉर्ड रखता है और बराबर उससे सीखता है। अब आज का सौदा…औरऔर भी

नोट छापना आसान है, कमाना नहीं। वरना हर कोई शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से जमकर कमा रहा होता। आम सोचवालों के लिए ट्रेडिंग से कमाई शेर के जबड़े से शिकार निकालने जैसा काम है। सामने बैठे हैं उस्तादों के उस्ताद, जो भीड़ की हर मानसिकता का इस्तेमाल बखूबी करते हैं। अक्सर कम सतर्क लोगों को छकाने के लिए झांसा/ट्रैप बिछाते हैं जो दिखता है शानदार मौका, लेकिन फंसाते ही निगल जाता है। अभी क्या है इनका ट्रैप…औरऔर भी