ज्ञान और पशु
किसी इंसान के बुद्धिमान या धनवान होने का मतलब यह नहीं कि उसने अपनी पशु-वृत्तियों पर काबू पा लिया है; बल्कि सत्तावान होते ही उसकी पशु-वृत्तियां और प्रबल हो जाया करती हैं। केवल ज्ञानवान ही पशु-वृत्तियों का शमन कर पाते हैं।और भीऔर भी
किसी इंसान के बुद्धिमान या धनवान होने का मतलब यह नहीं कि उसने अपनी पशु-वृत्तियों पर काबू पा लिया है; बल्कि सत्तावान होते ही उसकी पशु-वृत्तियां और प्रबल हो जाया करती हैं। केवल ज्ञानवान ही पशु-वृत्तियों का शमन कर पाते हैं।और भीऔर भी
जो मनोरंजन हमारी पशु-वृत्तियों को पोसता है, वो कभी हमें आगे नहीं ले जा सकता। सार्थक मनोरंजन वही है जो बतौर इंसान हमें ज्यादा संवेदनशील बनाए, एकाकीपन से निकालकर ज्यादा सामाजिक बनाए।और भीऔर भी
पशु वृत्तियां हम पर उसी हालत में हावी होती हैं जब हम सामाजिक कम और एकाकी ज्यादा होते हैं। इसलिए अपने अंदर के पशु को इंसान बनाना है तो हमें ज्यादा से ज्यादा सामाजिक होना पड़ेगा।और भीऔर भी
हम यूं तो जीते हैं जानवरों की ही ज़िंदगी। उन्हीं प्रवृत्तियों के चलते दुनिया में आगे बढ़ते हैं। बस, इतना है कि समाज ने कुछ कपड़े-लत्ते पहना रखे हैं। धर्म और नैतिकता ने भ्रम पाले रखने के कुछ बहाने दे रखे हैं।और भीऔर भी
© 2010-2020 Arthkaam ... {Disclaimer} ... क्योंकि जानकारी ही पैसा है! ... Spreading Financial Freedom