रुपया डॉलर के मुकाबले इस साल 9.27% गिर चुका है। सोमवार को 61.21 की ऐतिहासिक तलहटी छूने के बाद 60.62 पर बंद हुआ। हर तरफ हाहाकार है कि रसातल में जाता रुपया अब संभाला नहीं जा सकता और वो अपने साथ अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार को भी डुबा देगा। पर सच यह है कि उसकी कमज़ोरी ही एक दिन मजबूती का सबब बनेगी। आयात घटेंगे, निर्यात बढ़ेंगे, रुपया सबल होगा। इस चक्र को समझते, बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

कुछ नहीं, बहुत-से लोग कहते हैं कि शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग साइंस के साथ-साथ आर्ट भी है। कला जो अंदर से आती है। लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं। ट्रेडिंग शुद्ध रूप से नंबरों का खेल है। किसी भाव पर लेनेवाले कितने हैं और बेचनेवाले कितने, इसी से तय होगा कि भाव आगे कहां जाएगा। चार्ट पर हमें चित्र-विचित्र आकृतियां नहीं, बल्कि खरीदने और बेचनेवालों का सही संतुलन दिखना चाहिए। शुरू करते हैं आज का अभ्यास…औरऔर भी