21 की मौत, 150 से ज्यादा घायल। आज इनसे जुड़े हजार-दो हजार लोगों की ज़िंदगी यकीनन ठहर गई होगी। लेकिन मुंबई के बाकी करीब 205 लाख लोंगों की ज़िंदगी की जंग चलती रहेगी। आतंकवाद की यही सीमा है। यह हमारे जीवन में इतना खलल भी इसीलिए डाल पाता है क्योंकि इसके पीछे खास किस्म की राजनीति काम करती है। इसे सिर्फ खुफिया व सुरक्षा तंत्र की कमजोरी मानना गलत होगा। खैर, इस तरह के पत्थर फेंकने सेऔरऔर भी

जिन भी लोगों को पिछले साल अगस्त में सरकारी कंपनी एनएचपीसी के आईपीओ में शेयर मिले होंगे, वे आज रो रहे होंगे क्योंकि 36 रुपए में मिला वह शेयर कल अपने सबसे निचले स्तर 27.60 रुपए पर पहुंच गया। आखिर 23 फीसदी का नुकसान कोई मामूली नहीं होता! लेकिन अचंभा इस बात का है जिस दिन एनएचपीसी के शेयर की यह दुर्गति हुई है, उसी दिन खबर आई है कि वित्त वर्ष 2009-10 में उसने अब तकऔरऔर भी