खुशी के बुलबुले
2011-05-03
जो चीज सालों से नहीं बदली, उसे बदलने का सुख ही सृजनात्कता का सुख है। बदलने की ललक हो, जीवट हो तो अंदर से ऊर्जा के बुलबुले उठते हैं। ये बुलबुले खुशी की चहक व ताजगी साथ लेकर आते हैं।और भीऔर भी
जो चीज सालों से नहीं बदली, उसे बदलने का सुख ही सृजनात्कता का सुख है। बदलने की ललक हो, जीवट हो तो अंदर से ऊर्जा के बुलबुले उठते हैं। ये बुलबुले खुशी की चहक व ताजगी साथ लेकर आते हैं।और भीऔर भी
इंसान की सृजनात्मकता निठल्ले चिंतन की उपज नहीं होती। संघर्ष-विहीन जीवन से सृजन नहीं, उबासियां निकलती हैं। कठोर वास्तविकता की रगड़-धगड़ से ही सृजन की चिनगारी फूटती है।और भीऔर भी
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