इधर बैंक जमकर म्यूचुअल फंडों के लिए सिप (सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान) का इंतजाम कर रहे हैं। मार्च 2009 में म्यूचुअल फंडों के सिप खातों की संख्या 18 लाख थी। दो साल में मार्च 2011 तक यह संख्या दो गुने से ज्यादा 42 लाख हो गई। इससे बैंकों को भी अपनी शुल्क-आधारित आय बढ़ाने में मिल रही है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई का लक्ष्य मार्च 2012 तक 25 लाख सिप यूनिट बेचने का है। एक्सिस बैंकऔरऔर भी

आज बात बाजार की उठापटक से थोड़ा हटकर। कारण, आखिरी डेढ़-दो घंटों में कुछ ऐसा हो गया जो सचमुच आकस्मिक था। एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस से लेकर तीन सरकारी बैंकों के अधिकारियों का रिश्वतखोरी में लिप्त होना हमारे वित्तीय तंत्र की बड़ी खामी को उजागर करता है। यह बड़ा और बेहद गंभीर मसला है जो अगले कुछ दिनों तक हमारे नियामकों व बाजार के जेहन को मथता रहेगा। इसलिए आज कुछ स्थाई किस्म की बात जो हो सकताऔरऔर भी

सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (सिप) इस समय म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे लोकप्रिय तरीका बन गया है जिसमें नियमित अंतराल पर रकम निवेश की जाती है। लेकिन इनके सिस्टमैटिक विदड्रॉअल प्लान (एसडब्ल्यूपी या स्विप) भी हैं जिनसे निवेशक नियमित अंतराल पर कुछ पैसा अपने निवेश में से निकाल सकते हैं। निकाला गया पैसा किसी ओर योजना में निवेश किया जा सकता है या फिर कुछ ओर खर्चों के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। अमूमन स्विप कोऔरऔर भी