हर विचारधारा की उम्र होती है। किसी की कम तो किसी की थोड़ी ज्यादा। इसके बाद स्वार्थों के पैमाने में कसकर वे अपना सारतत्व खो देती हैं। इसीलिए पुरानी को तोड़ नई विचारधाराएं आती रहती हैं।और भीऔर भी