जब कुछ भी साफ समझ में न आए तो खुद को संयोगों के भरोसे छोड़ देना चाहिए। वैसे भी हमारी जिंदगी में सच कहें तो 20% ही योजना और 80% संयोग काम करते हैं। इसे मान लेने में क्या हर्ज है?और भीऔर भी