बुरा वक्त और तूफान कभी इस बात का इंतज़ार नहीं करते कि आपने बचने की तैयारी कर ली है या नहीं। उन्हें कतई परवाह नहीं होती कि आप कितने सतर्क या चैतन्य हैं। वे तो बस अपनी मौज में आते हैं और सब समेटकर साथ लिये जाते हैं।और भीऔर भी

जब हम किसी के काम की तारीफ करते हैं तो परोक्ष रूप से उसे जिम्मेदार बनाते हैं। उसे लगता है कि एक गलत कदम भी दूसरों का भरोसा तोड़ सकता है। इसलिए वह बराबर सतर्क व सावधान रहता है।और भीऔर भी