इंसान की न इच्छाओं का अंत है और न ज़रूरतों का। इसीलिए इन्हें पूरा करने में लगी नई-नई कंपनियों के आने का भी कोई अंत नहीं। जो व्यापक लोगों की ज़रूरत को जितना बेहतर पूरा करती है, वो उतनी ही सफल कंपनी बन जाती है। उपयोगी चीज़ बनाती है, जीवन में मूल्य जोड़ती है तो लोग भी उसे दाम देकर बढ़ाते जाते हैं। नतीज़तन उसके स्वामित्व/शेयर का मूल्य बढता जाता है। तथास्तु में ऐसी ही मूल्य-युक्त कंपनी…औरऔर भी