हमें हर वक्त अपना काम इतना टंच रखना चाहिए और जीवन को इतने मुक्त भाव से जीना चाहिए कि अगले ही पल अगर मौत हो जाए तो कतई मलाल न रहे कि हमने ये नहीं किया या वो नहीं किया। जिम्मेदारी से जीना। मुक्त मन से जाना।और भीऔर भी

जब हम व्यक्ति से लेकर समाज और अंदर से लेकर बाहर की प्रकृति के रिश्तों को तार-तार समझ लेते हैं तो हमारी अवस्था क्षीरसागर में शेषनाग की कुंडली पर लेटे विष्णु जैसी हो जाती है। हम मुक्त हो जाते हैं।और भीऔर भी