चिढ़ना और खीझना छींकने और खांसने जैसी आम बात है। लेकिन चिढ़चिढ़ापन जब आपके स्वभाव का स्थाई भाव बन जाए तब जरूर सोचिए कि आपने अंदर और बाहर के किन तारों को अनसुलझा रख छोड़ा है।और भीऔर भी