यहां हर कोई अपने में मस्त है। सबकी अपनी दुनिया, अपना संसार है। उन्हें सुनाना है तो पहले आपको किसी न किसी रूप में सत्ता हासिल करनी पड़ेगी। जब ये सत्ता दिखती है तभी दूसरे आपको सुनते हैं।और भीऔर भी

हर कोई अपनी-अपनी दुनिया में मस्त है। हम भी हैं। इसमें क्या बुराई! लेकिन यह तो पता होना चाहिए कि दुनिया की किन चीजों ने हमारी दुनिया को अपनी जद में ले रखा है। टिटिहरी या शुतुरमुर्ग जैसा भ्रम क्यों?और भीऔर भी