प्राण मरने पर ही शरीर नहीं छोड़ता, बल्कि जीवित रहते हुए भी प्राण तत्व घटता रहता है। पस्तहिम्मती और आत्मबल के डूबने के रूप में सामने आता है यह। हां, इस दौरान मृत्यु के जबड़े से जीवन को खींच लेने का विकल्प हमारे सामने खुला रहता है।और भीऔर भी

स्थिर शरीर से प्राण स्थिर होते हैं। स्थिर प्राण से बु्द्धि स्थिर होती है। स्थिर बुद्धि मन को संयत करती है। संयत मन चित्त को शांत करता है। शांत चित्त से ध्यान और ध्यान से योग सधता है।और भीऔर भी