सुन, मेरे बंधु रे! सुन मेरे मितवा!!
2011-09-05
एक-एक दिन। हफ्ता-दर-हफ्ता। हर हफ्ते में पांच दिन। हर शाम यही बेचैनी कि अगले दिन कैसे कोई ऐसा शेयर पेश कर दूं जो आपकी बचत को पंख लगा सके। कोशिश कि निवेश की हर सुरक्षित डगर ढूंढकर आप तक पहुंचा दूं। यह भी कि आर्थिक व वित्तीय जगत की सारी काम की खबरें आप तक अखबारों से बारह घंटे पहले पहुंचा दूं। दावा नहीं करता कि ऐसा कर ही डाला। लेकिन इतना दावा जरूर है कि पूरीऔरऔर भी