मन शरीर के रसायनों से लेकर हार्मोंस और समाज की नैतिकताओं से लेकर पाखंडों तक का बोझ ढोता है। आगे बढ़ने के लिए सारे झाड़-झंखाड़ को काटता तराशता रहता है। इसलिए मन पर बराबर सान चढ़ाते रहना चाहिए।और भीऔर भी