बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट अपनाए हुए दो महीने से ज्यादा बीत चुके हैं। 1 फरवरी 2011 को एक्सचेंज ने घोषित किया था कि अब से 13 अप्रैल को या उसके बाद एक्सपायर होनेवाले सभी मौजूदा सिंगल स्टॉक फ्यूचर्स व ऑप्शंस कांट्रैक्ट डिलीवरी आधारित होंगे। नोट करने की बात यह है कि एक तो यह जुलाई 2010 में पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी द्वारा घोषित की गई व्यवस्था थी। इसलिए इसे देर-सबेरऔरऔर भी

देश के तकरीबन सारे परिवार वित्तीय रूप से बीमार हैं। यह कहना है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के निदेशक बोर्ड की इकलौती महिला सदस्य और ब्रोकर फर्म असित सी मेहता की प्रबंध निदेशक दीना मेहता का। उनके मुताबिक, “आज के दौर में महिलाओं और बच्चों को वित्तीय क्षेत्र से दूर रखना कोई भी परिवार गवारा नहीं कर सकता। अपनी बचत फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में रखने से कुछ नहीं होनेवाला क्योंकि मुद्रास्फीति आपके पैसे को खा जाती है।औरऔर भी

इस समय सब-ब्रोकर भले ही किसी न किसी ब्रोकर के साथ जुड़ कर काम करते हैं। लेकिन उनका स्वतंत्र वजूद होता है। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के पास उन्हें पंजीकरण कराना पड़ता है। लेकिन अगर सेबी की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश मान ली गई तो पूंजी बाजार के मध्यवर्ती के रूप में सब ब्रोकर के नाम को ही खत्म कर दिया जाएगा और वे ब्रोकरों के एजेंट या कर्मचारी बन कर रह जाएंगे। सेबी ने पूंजीऔरऔर भी