नई धारणाएं पुराने शब्दों में नहीं बांधी जा सकतीं। वे जीवन में जिस रूप, जिस भाषा में आएं, उन्हें वैसे ही स्वीकार करना होगा। नया हमारे हिसाब से नहीं ढलेगा। हमें ही उसके हिसाब से ढलना होगा।और भीऔर भी