जीवन क्या जिया!
2010-10-02
खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाएंगे। तो क्या बीच में जो था, वो सब निरर्थक था? नहीं। बीच में थी रचनात्मकता जिसने हमें रंग दिया, अर्थ दिया। जीवन कितना जिया? जितना हम रचनात्मक रहे, सृजन किया। बस…और भीऔर भी
खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाएंगे। तो क्या बीच में जो था, वो सब निरर्थक था? नहीं। बीच में थी रचनात्मकता जिसने हमें रंग दिया, अर्थ दिया। जीवन कितना जिया? जितना हम रचनात्मक रहे, सृजन किया। बस…और भीऔर भी
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