खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाएंगे। तो क्या बीच में जो था, वो सब निरर्थक था? नहीं। बीच में थी रचनात्मकता जिसने हमें रंग दिया, अर्थ दिया। जीवन कितना जिया? जितना हम रचनात्मक रहे, सृजन किया। बस…और भीऔर भी

आप प्रतिकूलताओं से घिरे हैं तो भाग्यशाली हैं क्योंकि इनके बीच ही हमारी सोई शक्तियां जगती हैं। सब ठीक हो तो नई अनुभूति नहीं मिलती। और, अनुभूति ही तो पूंजी है। बाकी तो सभी को विदा खाली हाथ ही होना है।और भीऔर भी