कितने मासूम हैं हम कि अपनी ही कहानी देखकर रो पड़ते हैं और सामनेवाले की तारीफ में कह डालते हैं, वाह! क्या दिखाया है। कब रुकेगा हमारी कथा हम्हीं को दिखाकर रुलाने का यह निर्मम सिलसिला?और भीऔर भी

महाकवि कालिदास अपने समय के महान विद्वान थे। उनके कंठ में साक्षात सरस्वती का वास था। शास्त्रार्थ में उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था। अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर एक बार कालिदास को अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया। उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया है और अब सीखने को कुछ बाकी नहीं बचा। उनसे बड़ा ज्ञानी संसार में कोई दूसरा नहीं। एक बार पड़ोसी राज्य से शास्त्रार्थ का निमंत्रणऔरऔर भी