जो स्थिर है, बैठा है, चलता नहीं, वह गलता है। जो गतिशील है, चलता है, वही दोषों से मुक्ति पाकर शुद्ध व समर्थ बनता है। उपनिषद तक यही कहते हैं। इसलिए ठहरने का बहाना नहीं, चलने की राह खोजनी चाहिए।और भीऔर भी

काल से बड़ा कोई नहीं। यमराज भी उनके कहे अनुसार चलते हैं। उगना, खिलना, पकना, मिटना सब काल के खेल हैं। प्राचीन मान्यता है कि स्वर्ग में न बुढ़ापा है और न ही मृत्यु। कठोपनिषद के अनुसार स्वर्ग प्राप्ति का साधन अग्नि-विद्या है। नचिकेता ने यमराज से वही अग्नि रहस्य पूछा था। यमराज ने नचिकेता को अग्नि-विद्या बताई। नचिकेता इस रहस्य को फौरन जान गए। तब से यही अग्नि-विद्या ‘नाचिकेतस अग्नि’ कही जाती है। लेकिन हमारी- आपकीऔरऔर भी